एक कठिन समय की शुरूआत हुई थी 1757 में, हार गया सिराज-उद-दौलह, जो युद्ध हुआ पलासी में। एक कठिन समय की शुरूआत हुई थी 1757 में, हार गया सिराज-उद-दौलह, जो युद्ध हुआ पल...
नहीं-नहीं की भाषा तुम्हारी, आज-अभी-यही की मेरी बातें, रोज़ टकराये, रोज़ मिल ही जाएं, नहीं-नहीं की भाषा तुम्हारी, आज-अभी-यही की मेरी बातें, रोज़ टकराये, रोज़ मि...
इंसानियत से बढ़कर न प्रेम यहाँ कुछ भी थाम लो पाँव अपने जरूरत जहाँ इंसा की इंसानियत से बढ़कर न प्रेम यहाँ कुछ भी थाम लो पाँव अपने जरूरत जहाँ इंसा की
तुम कितनी सुलझी हुई हो ना, जैसे की कोई रेशम का धागा, कितना भी करो हमेशा सुलझा। तुम कितनी सुलझी हुई हो ना, जैसे की कोई रेशम का धागा, कितना भी करो हमेशा सुलझा।
मिलकर चलो ख़ुशियाँ फैलाएँगे प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे! मिलकर चलो ख़ुशियाँ फैलाएँगे प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे!
पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन। पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन।